गौरतलब है कि भारत की 14 हजार किलोमीटर लंबी सीमा है जो बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, चीन, म्यांमार, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों से लगी है, वहीं समुद्री क्षेत्र में भारत की सीमा श्रीलंका, इंडोनेशिया और मालदीव से सटी हुई है।
बैठक में सीमाओं का इतिहास लिखने के काम में सीमाओं से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समाहित किया जाएगा। सरकार के इस फैसले के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि नए सिरे से सीमाओं के इतिहास लिखने से लोगों तथा विशेष रूप से अधिकारियों को देश की सीमाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।
बुधवार को यहां रक्षा मंत्री ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अधिकारियों, नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय, अभिलेखागार महानिदेशालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस बारे में बैठक की है।
सरकार की इस परियोजना में सीमाओं की पहचान करना, सीमांकन, बदलाव, सुरक्षा बलों और सीमा पर रहने वाले लोगों की भूमिका, उनकी संस्कृति और उनकी जिदंगी के सामाजिक और आर्थिक आयामों को शामिल करने समेत विभिन्न पहलुओं को सम्मिलित किया जाएगा। इस परियोजना को दो साल के भीतर पूरा किया जाएगा।
भारत की सीमाओं का इतिहास अब नए सिरे से लिखा जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को अपनी तरह की इस पहली परियोजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत देश की सीमाओं के इतिहास को कलमबद्ध किया जाना है।
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