बाबा रामदेव पर निबन्ध

1. प्रस्तावना:


बिना किसी दवा के स्वस्थ भारत और स्वस्थ दुनिया बनाने के सपने के साथ-साथ भारत को दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक व सांस्कृतिक शक्ति के रूप में देखने वाले बाबा रामदेव वर्तमान भारत की एक ऐसी योग शक्ति के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने योग द्वारा लोगों में आत्मविश्वास, साहस, आत्मशक्ति, राष्ट्रभक्ति तथा आध्यात्मिक मूल्यों को जगाया है ।


आयुर्वेद और योग के माध्यम से लोगों की बीमारियों को ठीक करने का चमत्कार उनके योग शिविर का जायजा लेने के बाद होता है । वेजीरो डिग्री टेक्नालॉजी का सामान बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के विरोधी है ।


विदेशी कम्पनियों की दवाइयां तथा सामान लोगों के स्वारथ्य तथा देश के भविष्य के लिए घातक है । ऐसी सोच देने वाले बाबा रामदेव पतंजलि पीठ तथा दिव्या फॉर्मेसी के संस्थापक सदस्य हैं । आरोपों तथा विवादों से परे बाबा रामदेव अपने महान् कार्य में तन-मन-धन से लगे हुए हैं ।
2. जीवन परिचय व इनकी योग साधना का प्रभाव:


प्राचीनकालीन योग के साहित्य द्वारा भारत तथा दुनिया को रोगमुक्त बनाने का संकल्प लेने वाले बाबा रामदेव का जन्म दिल्ली से लगभग 190 कि०मी० दूर हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के गांव अलीपुर में जनवरी 1973 को हुआ था । उनके पिता रामनिवास यादव और माता गुलाब कौर हैं ।


इनकी प्रारम्भिक शिक्षा शहजादपुर के राजकीय विद्यालय से पूर्ण हुई । यहां से इन्होंने प्रथम श्रेणी में आठवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की । उसके बाद महेन्द्रगढ़ जिले के गुरुकुल खानपुर में संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने आ पहुंचे । वहां अष्टाध्यायी व्याकरण की पुस्तक को इन्होंने एक माह में ही कण्ठस्थ कर सुना दिया ।


ये एक गम्भीर, परिश्रमी, होशियार, आज्ञाकारी विद्यार्थी रहे । वहां से ये गुरुकुल कालवा में आगे की पढ़ाई के लिए गये । आचार्य बलदेव के मार्गदर्शन में इन्होंने शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की । इसके बाद ये रोहतक के दयानन्द मठ और पूरे हरियाणा में स्थान-स्थान पर योग की निःशुल्क शिक्षा देने लगे । वर्तमान समय में इनके योग शिविर का साम्राज्य इतना विशाल है कि लाखों-करोड़ों की संख्या में इनके अनुयायी देश-विदेश में फैले हुए हैं ।


इनका परिवार साधारण किसान की पृष्ठभूमि वाला है । इनके छोटे भाई भरत हरिद्वार में रहते हैं । इनके बड़े भाई देवदत्त केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में हैं । बहिन ऋतम्भरा हरिद्वार में रहती हैं । स्वामी रामदेव की चमत्कारिक प्रयोगों वाली पुस्तक औषध दर्शन तथा योग सन्देश अंग्रेजी, हिन्दी, मराठी, बंगला और पंजाबी भाषा में छपती है । स्वामी रामदेव को 5 वर्ष की अवस्था में लकवे ने जकड़ लिया था, तभी से इनकी आंख में थोड़ा फर्क आ गया । मुंह भी टेढ़ा हो गया था । किन्तु योग साधना के धुन के पक्के स्वामी ने हार नहीं मानी ।


योग के बल पर स्वामी ने न केवल अपने स्वास्थ्य में सुधार किया, बल्कि देश के सारे लोगों को रोगमुक्त करने का प्रण किया । हरिद्वार के निकट सैकड़ों-करोड़ों रुपयों की लागत से पतंजलि योगपीठ में न केवल योग साधना सिखाई जाती है, अपितु गरीबों को मुक्त दवाइयां दी जाती हैं । ये देश के स्वास्थ्य के लिए कोल्ड ड्रिंक्स को जहर मानते हैं; क्योंकि इसके द्वारा दिल का दौरा, कैंसर, मधुमेह, थाइराइड, अस्थिक्षय होता है तथा नपुंसकता आती है ।


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आज बाबा रामदेव अपने योग शिविर के माध्यम से करोड़ों रुपये चन्दे के रूप में प्राप्त कर पतंजलि योगपीठ को विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान बनाने के पुनीत कार्य में लगे हुए हैं । यद्यपि इनकी आयुर्वेदिक दवाइयों पर मानव खोपड़ी तथा जीवों की हड्‌डियां मिलाने के आरोप भी समय-समय पर उनके विरोधियों द्वारा लगते रहे हैं । बाबा रामदेव इन आरोपों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का उनके खिलाफ किया गया षड्यन्त्र मानते हैं ।
3. उपसंहार:


करोड़ों लोगों को योग साधना के माध्यम से लाभ पहुंचाने वाले बाबा रामदेव ने योग के जरिये लोगों को एक नयी जिन्दगी दी है । प्राचीन भारत में जिस तरह हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा योग साधना के माध्यम से प्राकृतिक चिकित्सा की जाती रही, बाबा रामदेव प्राचीन भारत के उसी गौरव को पुन: प्रतिष्ठापित कराना चाहते है ।


बाबा रामदेव का योग साम्राज्य कुछ वर्षों में ही दूर-दूर तक फैल गया है, यही उनकी लोकप्रियता के चरमोत्कर्ष का प्रमाण है । बाबा ने आयुर्वेद की प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति को पुन: प्रतिस्थापित


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