मध्य प्रदेश / चंबल में इंसान ही नहीं, भैंसों का भी अपहरण कर फिरौती वसूली जाती है

  • चंबल के गांवों की पंचायतों में चोरी हुए मवेशियों का सौदा होता है, वापसी के एवज में कीमत की 25-30% राशि मिलती है

  • पुलिस गांवों में घुस नहीं पाती, मवेशी को वापस पाने के लिए मध्यस्थता ही एकमात्र विकल्प


भोपाल/ मुरैना. इंसानों का अपहरण और फिरौती लेकर छोड़ने के किस्से तो बहुत हैं, लेकिन चंबल में भैंसों को अगवाकर फिरौती वसूली जाती है। यह आपराधिक ट्रेंड लंबे समय से इलाके में बेरोकटोक चल रही है। स्थानीय भाषा में इसे पनिहाई कहा जाता है। पनिहाई मतलब मध्यस्थों के जरिए एकमुश्त रकम लेकर चोरी गई भैंस को उसके मालिक तक पहुंचाना।


यह भैंस की कीमत की 30 प्रतिशत तक होती है। मवेशी चोर, उनके दलालों और राजनीतिक संपर्क के मजबूत ढांचे के सामने पुलिस इतनी बेबस है कि चोरों के नाम-पते मालूम होने के बाद भी उनके गांव में घुस भी नहीं पाती, क्योंकि यह समुदाय के रूप में एकजुट होकर प्रतिरोध करते हैं। कई बार गोलियां भी चल जाती हैं। पनिहाई के ज्यादातर केस पुलिस तक पहुंचते नहीं, क्योंकि पीड़ित पक्ष को इसमें अपमान महसूस होता है।


तीन उदाहरण, भैंस चोरी हुई तो पंचायत बुलाई, रकम दी तो वापस मिली 



1. रकम न देने से अटका मामला
दिमनी के सिरमिति गांव से एक सितंबर की रात 12 बजे जलदेवी नामक विधवा महिला की 60 हजार रुपए की भैंस चोरी हो गई। जलदेवी ने तीन लोगों पर संदेह किया। नाम पुलिस को बताए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिर महिला ने भैंस वापस लेने के लिए इनके खिलाफ पंचायत बुलाई। उन लोगों के नाम सामने रखे। इन्होंने कसम खाकर भैंस वापस करने का आश्वासन दिया, लेकिन रकम न देने से मामला अटका हुआ है।


 
2. बीस हजार लेकर लौटाई भैंस
पोरसा क्षेत्र के सींगपुरा निवासी धारा कोरी की भैंस को अप्रैल में अज्ञात चोर घर के बाहर से खोलकर ले गए। धारा ने पुलिस में शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अंतत: उसने दलालों से संपर्क किया। इसके बाद कुखथरी के भुआ का पुरा गांव में पंचायत हुई और इन्हीं दलालों के माध्यम से उसने 20 हजार रुपए देकर 60 हजार रुपए की भैंस वापस मंगवाई।


 
3. पीड़ित पक्ष ने पकड़े ट्रैक्टर, तब हुआ सौदा
दो साल पहले मुरैना गांव के धर्मेंद्र किरार की 80 हजार रुपए की भैंस चोरी हुई। पता चला कि चोरी में दोन्हारी गांव के लोगों का हाथ है। इसके बाद गांव के दाऊजी मंदिर पर समाज की महापंचायत में तय किया गया कि हमारे समाज की आबादी बहुल गांवों से भैंस चोरी से जुड़े समुदाय के लोगों के रेत के ट्रैक्टर-ट्रॉली निकले तो उन्हें पकड़ लेंगे। एक ट्रैक्टर पकड़ भी लिया गया। इसके 10 दिन बाद संबंधित समुदाय के लोग भैंस वापस कर गए। हालांकि, जाते-जाते उन्होंने भी किरार समाज के लोगों को मंदिर पर कसम खिलवाई कि अब वे रेत के ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं पकड़ेंगे।


पुराने मवेशी चोरों की हिस्ट्रीशीट करा रहे हैं तैयार
मुरैना एसपी डॉ. असित यादव ने बताया, सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे पशु चुराने वाले पुराने बदमाशों की हिस्ट्रीशीट तैयार करें और उन्हें थाने बुलाकर पाबंद किया जाए। पुलिस से मवेशी चोरी की पुरानी घटनाओं और आरोपियों का रिव्यू शुरू करा रहे हैं।