विश्वकर्मा जयन्ती भारत के कर्नाटक, असम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा और त्रिपुरा आदि प्रदेशों में १७ सितम्बर को मनायी जाती है। यह उत्सव प्रायः कारखानों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में (प्रायः शॉप फ्लोर पर) मनाया जाता है। विश्वकर्मा को विश्व का निर्माता तथा देवताओं का वास्तुकार माना गया है।
बताया जाता है कि भारत के उत्तरी पूर्वी भाग बंगाल बिहार की हुबली नदी के कारण से सामान को भारत से विदेश ले जाने के लिए अंग्रेज़ो को बहुत दिक्कत होती थी ।तो उन्होंने नदी पर एक ब्रिज बनाने की सोची । अंग्रेज़ो शासकों ने वह पर ब्रिज बनाने के लिए बड़े बड़े लोहे के गाटर मगवाए । नदि से समान को लाने के जाने के लिए नाव का प्रयोग होता तो सभी नाविक इस बात से नाराज़ हुए। तो अंग्रेज़ो ने हिन्दू देवी देवताओं का सहारा लेते हुए १७सितंबर सन-१९१३ को वहां पे गरीब मजदूरों के लिए विश्वकर्मा जी के नाम पर खानेपीने के मुफ्त होटलों की व्यवस्था करवाई। उसी दिन से १७ सितंबर को सभी कारखानों व कंपनियों में विश्वकर्मा पूजा व भोजन होता है। और हा आज उस ब्रिज को हावड़ा ब्रिज के नाम से पुकारा जाता है।
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